~ प्रभु का पत्र ~
मेरे प्रिय....
सुबह तुम जैसे ही सो कर उठे में तुम्हारे बिस्तर के पास ही खड़ा था। मुझे लगा की तुम मुझसे कुछ बात करोगे। तुम कल या पिछले हफ्ते हुई किसी बात या घटना के लिये मुझे धन्यवाद कहोगे। लेकिन तुम फटाफट चाय पी कर तैयार होने चले गए और मेरी तरफ देखा भी नहीं।
फिर मैंने सोचा की तुम नहा के मुझे याद करोगे। पर तुम इस उलझन में लग गये की तुम्हे आज कौन से कपड़े पहनने हैं!! फिर जब तुम जल्दी से नाश्ता कर रहे थे और अपने ऑफिस के कागज इकठे करने के लिये घर में इधर से उधर दौड़ रहे थे.... तो भी मुझे लगा की शायद अब तुम्हे मेरा ध्यान आयेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
फिर जब तुमने ओफिस जाने के लिए ट्रेन पकड़ी तो में समझा की इस खाली समय का उपयोग तुम मुझसे बातचीत करने में करोगे। पर तुमने थोड़ी देर पेपर पढ़ा और फिर खेलने लग गए अपने मोबाइल में और में खड़ा का खड़ा ही रह गया।
में तुम्हें बताना चाहता था कि दिन का कुछ हिस्सा मेरे साथ बिता कर तो देखो, तुम्हारे काम और भी अच्छी तरह से होने लगेंगे, लेकिन तुमनें मुझसे बात ही नहीं की। एक मौका ऐसा भी आया जब तुम बिलकुल खाली थे और कुर्सी पर पूरे 15 मिनट यू ही बैठे रहे, लेकिन तब भी तुम्हें मेरा ध्यान नहीं आया।
दिन का अब भी काफी समय बचा था। मुझे लगा की शायद इस बचे समय में हमारी बात हो जाएगी.... लेकिन घर पँहुचने के बाद, तुम रोज के कामों में व्यस्त हो गये। जब वे काम निपट गये तुमने टीवी खोल लिया और घंटो टीवी देखते रहे। और देर रात थककर तुम बिस्तर पर आ लेटे।
तुमनें अपनी पत्नी, बच्चों को शुभरात्री कहा और चुपचाप चादर ओढकर सो गये।
मेरा बड़ा मन था कि में भी तुम्हारी दिनचर्या का हिस्सा बनू..
तुम्हारे साथ कुछ वक्त बिताऊँ ..
तुम्हारी कुछ सुनु... तुम्हे कुछ सुनाऊँ। कुछ मार्गदर्शन करुँ तुम्हारा ताकि तुम्हें समझ आए कि तुम किस लिए इस धरती पर आए हो और किन कामों में उलझ गए हो... लेकिन, तुम्हें समय ही नहीं मिला और में मन मार कर ही रह गया।
में तुमसे बहुत प्रेम करता हूँ।
हर रोज़ में इस बात का इन्तज़ार करता हूँ कि तुम मेरा ध्यान करोगे और अपनी छोटी छोटी खुशियों के लिए मेरा धन्यवाद करोगे।
पर तुम तब ही आते हो जब तुम्हें कुछ चाहिए होता है। तुम जल्दी में आते हो और अपनी माँगे मेरे आगे रख के चले जाते हो। और मजे की बात तो यह है कि इस प्रक्रिया में तुम मेरी तरफ देखते भी नहीं।
खैर कोई बात नहीं....
हो सकता है कल तुम्हें मेरी याद आ जाये।
ऐसा मुझे विश्वास है और मुझे तुम में आस्था है। आखिरकार मेरा दूसरा नाम... " आस्था और विश्वास ही तो है"।
तुम्हारा ईश्वर....
~ संदेश ~
"अच्छे समय में अगर हम भगवान को शुक्रिया अदा नहीं करते, तो खराब समय के लिए भगवान को जिम्मेदार ठहराने का हमें कोई हक नहीं".
स्वस्थ रहे ।। मस्त रहे।। व्यस्थ रहे
सदैव मुस्कुराते रहे
गौरीशंकर चौबे
Very Nice
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