Monday, May 24, 2021

सदा मस्त रहो

 ~ सदा मस्त रहो ~


एक गिलहरी रोज अपने काम पर समय से आती थी और अपना काम पूरी मेहनत और ईमानदारी से करती थी। गिलहरी जरुरत से ज्यादा काम करती थी। क्योंकि उसके मालिक... जंगल के राजा शेर ने उसे दस बोरी अखरोट देने का वादा कर रखा था। गिलहरी काम करते करते थक जाती  तो सोचती, कि थोड़ा आराम कर लूँ... वैसे ही उसे याद आता कि शेर उसे दस बोरी अखरोट देगा। और गिलहरी फिर काम पर लग जाती। गिलहरी जब दूसरे गिलहरीयो को खेलते देखती,  तो उसकी भी इच्छा होती थी कि में भी खेलु, पर उसे अखरोट याद आ जाता, और वो फिर काम पर लग जाती। ऐसे ही समय बीतता रहा.... 

एक दिन ऐसा भी आया जब जंगल के राजा शेर ने गिलहरी को दस बोरी अखरोट दे कर आजाद कर दिया। गिलहरी अखरोट के पास बैठ कर सोचने लगी कि अब अखरोट मेरे किस काम के ?  पूरी जिंदगी काम करते - करते दांत तो घिस गये, इन्हें खाउगी कैसे।

यह कहानी आज जीवन की हकीकत बन चुकी है। इंसान अपनी इच्छाओ का त्याग करता है, पूरी जिंदगी नौकरी, व्यापार और धन कमाने में बिता देता है। 

६० वर्ष की उम्र में जब वो सेवा निव्रुत् होता है, तो उसे उसका जो फंड मिलता है, या बैंक बैलेंस होता है, तो उसे भोगने की क्षमता खो चुका होता है। तब तक जनरेशन बदल चुकी होती है, परिवार को चलाने वाले  बच्चे आ जाते है। 

क्या इन बच्चोंं को इस बात का अंदाजा लग पायेगा की इस फंड, इस बैंक बैलेंस के लिये: 

कितनी इच्छाये मरी होगी ?

कितनी तकलीफे मिली होगी ?

कितने सपने अधूरे रहे होंगे ?


क्या फायदा ऐसे फंड का, बैंक बैलेंस का, जिसे पाने के लिये पूरी जिंदगी लग जाये और मानव उसका भोग खुद न कर सके।

इस धरती पर कोई ऐसा अमीर अभी तक पैदा नहीं हुआ जो बीते हुए समय को खरीद सके। इस लिए हर पल को खुश होकर जियो व्यस्त रहो, पर साथ में मस्त रहो सदा स्वस्थ रहो।





                                                                     ~ संदेश ~

                                                                मौज लो, रोज लो !

                                                            नहीं मिले तो खोज लो !




                                          
                                                     Busy पर BE- EASY भी रहो !!

Friday, May 21, 2021

"इंसान"

 "इंसान"


          इंसान भी गज़ब है, 


अगरबत्ती भगवान के लिए खरीदता है


                    और


सुगंध खुद की पसंद की तय करता है।




Thursday, May 20, 2021

भगवान

 ~ भगवान ~


भगवान को मंदिर से ज्यादा मनुष्य का हदय 


पसंद है, क्योकि मंदिर में मनुष्य की चलती


है और हदय में भगवान की !


🙏 ओम 🌹 साईं 🌹 राम 🙏







Wednesday, May 19, 2021

राम....से.....तू..... है.....

 कुछ लोग पूछते है क्या वास्तव में रामसेतू है?


आगे से जवाब आया सच तो ये  है कि वास्तव..


 में.. राम....से.....तू..... है.....


जय श्री राम.




Monday, May 17, 2021

कर्म

 

~ कर्म ~

 

एक बार एक धनी व्यक्ति मंदिर जाता है । पैरो में महँगे और नये जूते होने पर सोचता है कि क्या करुँ ? यदि बाहर उतार कर जाता हुं तो कोई उठा न ले जाये और अंदर पूजा में मन भी नहीं लगेगा, सारा ध्यान जूतों पर ही रहेगा।

उसे मंदिर के बाहर एक भिखारी बैठा दिखाई देता है । वह धनी व्यक्ति भिखारी से कहता है भाई... जब तक में पूजा करके वापस न आ जाऊ, भाई मेरे जूतों का ध्यान रखोगे ? भिखारी हा कर देता है । अंदर पूजा करते समय धनी व्यक्ति सोचता है कि है प्रभु ... आपने यह कैसा असंतुलित संसार बनाया है ? किसी को इतना धन दिया है कि वह पैरों तक में महँगे जूते पहनता है और किसी को अपना पेट भरने के लिये भीख तक मांगनी पड़ती है !! कितना अच्छा हो कि सभी एक समान हो जाये !! वह धनिक निश्चय करता है कि वह बाहर आकर उस भिखारी को 100 का एक नोट देगा । बाहर आकर वह धनी व्यक्ति देखता है कि वहां न तो वह भिखारी है और न ही उसके जूते ।

धनी व्यक्ति ठगा सा रह जाता है। वह कुछ देर भिखारी का इंतजार करता है कि शायद भिखारी किसी काम से कहीं चला गया हो, पर वह नहीं आया । धनी व्यक्ति दुःखी मन से नंगे पैर घर के लिये चल देता है । रास्ते में फुटपाथ पर देखता है कि एक आदमी जूते चप्पल बेच रहा है । धनी व्यक्ति चप्पल खरीदने के उदेशय से वहां पहुँचता है, पर क्या देखता है कि उसके जूते भी वहां बेचने के लिए रखे हैं । वह अचरज में पड़ जाता है, फिर वह फुटपाथ वाले पर दबाव डालकर उससे जूतों के बारे में पूछता है । वह आदमी बताता है कि एक भिखारी उन जूतों को 100 रु में बेच गया है । धनी व्यक्ति वहीं खड़े होकर कुछ सोचता है और मुस्कुराते हुए नंगे पैर ही घर के लिये चल देता है । उस दिन धनी व्यक्ति को उसके सवालो के जवाब मिल गये थे.

 

समाज में कभी एकरूपता नहीं आ सकती, क्योकि हमारे कर्म कभी भी एक समान नहीं हो सकते । और जिस दिन ऐसा हो गया उस दिन समाज- संसार की सारी विषमताये समाप्त हो जायेगी । ईश्वर ने हर एक मनुष्य के भाग्य में लिख दिया है कि किसको कब और कितना  मिलेगा पर यह नहीं लिखा कि वह कैसे मिलेगा। यह हमारे कर्म तय करते हैं ।

 

जैसे के भिखारी के लिये उस दिन तय था कि उसे 100 रु मिलेंगे, पर कैसे मिलेंगे यह उस भिखारी ने तय किया । हमारे कर्म ही हमारा भाग्य, यश, अपयश, लाभ, हानि, जय, पराजय, दुःख, शोक, लोक - परलोक तय करते हैं । हम इसके लिये ईश्वर को दोषी नहीं ठहरा सकते हैं ।


भरोसा " ईश्वर " पर है, तो जो लिखा है तक़दीर में... वो ही पाओगे ! अगर भरोसा " खुद " पर है और कर्म अच्छे है, तो ईश्वर वहीं लिखेगा... जो आप चाहोगे !!







" भाग्य " के दरवाजे पर सर पीटने से तो बेहतर है, " कर्मो " का तूफान पैदा करे सारे दरवाजे खुल जायेगें !!






 तेरा मेरा करते एक दिन चले जाना है, जो भी कमाया यही रह जाना है ! कर ले कुछ अच्छे कर्म, साथ यही तेरे जाना है !!

Thursday, May 13, 2021

प्रार्थना

 प्रार्थना करो केवल इसलिए नहीं की कुछ जरुरत है बल्कि इसलिए की हम शुक्रगुजा़र है भगवान के जो कुछ हमारे पास है, वो बहुत कम  लोगों को नसीब होता है।


🙏 ओम 🌹 साईं 🌹 राम 🙏