Friday, July 22, 2022

भगवान की मजदूरी - Gaurishankar Chaubey

भगवान की मजदूरी

एक गरीब विधवा के पुत्र ने एक बार अपने राजा को देखा । 
राजा को देख कर उसने अपनी माँ से पूछा- माँ! क्या कभी मैं राजा से बात कर पाऊँगा ?
माँ हंसी और चुप रह गई ।
पर वह लड़का तो निश्चय कर चुका था । उन्हीं दिनों गाँव में एक संत आए हुए थे। तो युवक ने उनके चरणों में अपनी इच्छा रखी ।

संत ने कहा- अमुक स्थान पर राजा का महल बन रहा है, तुम वहाँ चले जाओ और मजदूरी करो । पर ध्यान रखना, वेतन न लेना । अर्थात् बदले में कुछ माँगना मत निष्काम रहना ।

वह लड़का गया । वह मेहनत दोगुनी करता पर वेतन न लेता ।

एक दिन राजा निरीक्षण करने आया । उसने लड़के की लगन देखी । प्रबंधक से पूछा- यह लड़का कौन है, जो इतनी तन्मयता से काम में लगा है ? इसे आज अधिक मजदूरी देना ।

प्रबंधक ने विनय की- महाराज! इसका अजीब हाल है, दो महीने से इसी उत्साह से काम कर रहा है । पर हैरानी यह है कि यह मजदूरी नहीं लेता । कहता है मेरे घर का काम है । घर के काम की क्या मजदूरी लेनी ?

राजा ने उसे बुला कर कहा- बेटा ! तू मजदूरी क्यों नहीं लेता ? बता तू क्या चाहता है ?

लड़का राजा के पैरों में गिर पड़ा और बोला- महाराज ! आपके दर्शन हो गए, आपकी कृपा दृष्टि मिल गई, मुझे मेरी मजदूरी मिल गई । अब मुझे और कुछ नहीं चाहिए ।

राजा उसे मंत्री बना कर अपने साथ ले गया । और कुछ समय बाद अपनी इकलौती पुत्री का विवाह भी उसके साथ कर दिया । राजा का कोई पुत्र था नहीं, तो कालांतर में उसे ही राज्य भी सौंप दिया ।
बिल्कुल इसी प्रकार से भगवान ही हम सभी के राजा हैं । और हम सभी भगवान के मजदूर हैं । भगवान का भजन करना ही मजदूरी करना है । संत ही मंत्री है । भक्ति ही राजपुत्री है । मोक्ष ही वह राज्य है ।

हम भगवान के भजन के बदले में कुछ भी न माँगें तो वे भगवान स्वयं दर्शन देकर, पहले संत से मिलवा देते हैं और फिर अपनी भक्ति प्रदान कर, कालांतर में मोक्ष ही दे देते हैं ।

वह लड़का सकाम कर्म करता, तो मजदूरी ही पाता, निष्काम कर्म किया तो राजा बन बैठा । यही सकाम और निष्काम कर्म के फल में भेद है।
"तुलसी विलम्ब न कीजिए, निश्चित भजिए राम।
जगत मजूरी देत है, क्यों राखे भगवान॥"

सदैव प्रसन्न रहिये!!
जो प्राप्त है-पर्याप्त है!!

Sunday, July 10, 2022

हकीकत

#हक़ीक़त

क्या आप जानते हैं कि आपके अंतिम संस्कार के बाद आम तौर पर क्या होगा??

कुछ ही घंटों में रोने की आवाज पूरी तरह से बंद हो जाएगी।

रिश्तेदारों के लिए खाना बनवाने या मंगवाने में जुटे जायेगा परिवार..

कुछ पुरुष सोने से पहले चाय की दुकान पर टहलने निकल जाएंगे।

कोई रिश्तेदार आपके बेटे या बेटी से फोन पर बात करेगा कि आपात स्थिति के कारण वह व्यक्तिगत रूप से नहीं आ पा रहा है।

और तो और इधर आपका मृत शरीर चिता पर जल रहा होगा, उधर आपको अंतिम विदाई देने आए लोगों में से कोई फोन पर किसी से बतिया रहा होगा, कोई वाट्स एप, फेसबुक पर व्यस्त होगा तो दूर झुंड बनाकर बैठे कुछ लोग घर परिवार, व्यवसाय, खेल आदि अन्य विषयों पर चर्चा कर रहे होंगे।
अगले दिन रात के खाने के बाद, कुछ रिश्तेदार कम हो जाएंगे, और कुछ लोग सब्जी में पर्याप्त नमक नहीं होने की शिकायत करते होंगे

भीड़ धीरे धीरे छंटने लगेगी..

आने वाले दिनों में
कुछ कॉल आपके फोन पर बिना यह जाने आ सकती हैं कि आप मर चुके हैं।

आपका कार्यालय या आपकी दुकान आपकी जगह लेने के लिए किसी ओर को ढूंढने में जल्दबाजी करेगा।

एक हफ्ते बाद आपकी मौत की खबर सुनकर,
आपकी पिछली पोस्ट क्या थी, यह जानने के लिए कुछ फेसबुक मित्र उत्सुकता से खोज कर सकते हैं।

 10 दिन बाद आपका बेटा और बेटी अपने अपने काम पर लौट आएंगे।

महीने के अंत तक आपका जीवनसाथी कोई कॉमेडी शो देख कर हंसने लगेगा।

सबका जीवन सामान्य हो जाएगा
आपको इस दुनिया में आश्चर्यजनक गति से भुला दिया जाएगा।

इस बीच आपकी प्रथम वर्ष पुण्यतिथि भव्य तरीके से मनाई जाएगी।पलक झपकते ही
साल बीत गए और आपके बारे में बात करने वाला कोई नहीं है।

एक दिन बस पुरानी तस्वीरों को देखकर आपका कोई बेहद करीबी आपको याद कर सकता है

लोग आपको आसानी से भूलने का इंतजार कर रहे हैं
फिर आप किसके लिए दौड़ रहे हो?
और आप किसके लिए चिंतित हैं?

क्या आप अपने घर,परिवार, रिश्तेदार को संतुष्ट करने के लिए जीवन जी रहे हैं? 

जिंदगी एक बार ही होती है, बस इसे जी भर के जी लो….
और जितना हो सके इसके परम उद्देश्य के जितना निकट पहुंच सको, पहुंचने का यत्न करे, जितना हो सके परमार्थ  कमा लो❤️
#स्वामीस्वर्गानन्द