Monday, December 7, 2020

क्या है आईना- गौरीशंकर चौबे





आईना तो हम सभ देखते है आईना हम सभ क्यों देखते है यह तो हम सभ जानते ही है कि हमारे फेस पे क्या है और क्या नहीं आईना सभ बता देता है आईना बोलता है कि नहीं आईने में हम सभ खुद ही होते है हम खुद ही देखते है कि हमारे फेस पे क्या है और क्या नहीं जानना चाहते है तो दूसरों पर विशवास नहीं करते है क्योंकि आईने में हम खुद ही होते है क्यों कि आईना झूठ नहीं बोलता हमेशा सच्च ही बोलता है तो फिर कोई भी अच्छा या बुरा काम करने से पहले दूसरों का सहारा क्यों लेते हैं क्यों कि दूसरों पर विशवास करते है क्यों यकीन कर लेते है दूसरों पर क्यों विशवास करते हैं हम अपने आप की तब क्यों नहीं सुनते  देखते है कि आईना कुछ बोलता है और आईने की सुन ले। जरा इसकी सुन ले क्या कहता है आईना।

आईए मेरे साथ जानना चाहते है हम सभ कि क्या, क्या कर सकता है आईना कितनी पावर है इसमें हम इसको कांच समझने कि भूल मत करें कि आईना हमें सच्च का रास्ता दिखा सकता है और बुरे कर्मो से हमे बचा सकता है जिससे बुराई को खतम किया जा सकता है क्यों कि आईने का सामना तो हमें करना ही पड़ता है क्यों कि आईना तो हम सभ देखते ही है। क्योंकि आईने से बढ़कर और सच्चा साथी हमारा कोई भी नहीं है क्यों कि जात, पात या धर्म नहीं देखता है आईना हमें सच्च ही दिखलाता है आईना विशवास के काबिल है क्यों कि हमारे संत, महातमा, पीर, पैगंबर, रिशी मुनी उस मालिक को एक ही कहते आ रहे है उस एक मालिक की एक ही संतान है जब मालिक एक है तो उसकी अदालत भी एक ही है 2 या 4 कैसे हो सकती है यह नहीं कि हिन्दु, मुसलिम, सिक्ख, ईसाई यां फिर किसी और धर्म के लिए अलग-अलग है।

जब मालिक एक है तो उसकी अदालत भी एक ही है वहां ना कोई वकील, ना कोई अपील और ना ही कोई दलील होती है वहां सिर्फ उसकी अदालत में आईना ही दिखला दिया जाता है उस आईने में सी.सी. कैमरे की तरह कर्म करते दिखा दिया जाता है क्यों कि उस आईने में हम खुद ही होते है उसको कैसे झुठला सकते है क्योंकि उस मालिक परम पिता प्रमेशवर के बनाये हुए कानून भी एक है यह नहीं कि हिन्दु, मुसलिम, सिक्ख, ईसाई यां फिर किसी और धर्म के लिए अल्ग, अल्ग है नहीं वह मालिक एक है और उसके बनाये हुए कानून भी हम सभ के लिए एक जैसे ही है तभी तो किसी संत ने कहा है कि (जैसी करनी/वैसी भरनी) आईना क्यों है।

हमारा सच्चा साथी सच्चा दोस्त क्यों कि आईना हमें बुरे कर्मो से रोकता है और अच्छे कर्म करने की प्रेरणा देता है क्यों कि आईने में हम अपने आप को देख सकते है अपने आप से बाते कर सकते है कोई भी कर्म करने से पहले आईना जरूर देखे और सोचे उस कर्म के बारे में उस अंजाम के बारे में फिर कर्म करे अगर कर्म बुरा है तो हम अपने आप से नज़र नहीं मिला सकेगे शर्म से आँखे झुक जाएगी अगर कर्म अच्छा है तो हम नज़र भी मिला पायेगे और फकर महिसूस करेगें और हमारा सीना गर्व से चैड़ा हो जायेगा क्यों कि बुरा कर्म करने पर हम दूसरों से छुपा तो सकते है।

लेकिन अपने आप सें नहीं छुप सकते क्यों कि बुरा कर्म करते समय हम सोचते है कि हम को कोई देख नहीं रहा और हमको किसी ने देखा नहीं और हमने कोई सबूत नहीं छोड़ा हमको कोई पकड़ नहीं सकता हम किसको धोखा दे रहे हैं हम दूसरों को या अपने आप को क्यों कि हमें आईने के सामने तो जाना ही पड़ेगा आईने का सामना करना ही पड़ेगा क्या नज़रे मिला सकेगें अपने आप से हम, हम खुद ही उस कर्म कि गवाह है हम कैसे छुपेगें हम अपने आप से, अगर कर्म अच्छा तो हम खुशी महसूस करते है हम खुशी के मारे झूम उठते है तो हम तब आईना देखते है तो फकर महसूस करते है हमारा चेहरा खुशी से खिल जाता है चेहरे पर रौनक आ जाती है सीना चोड़ा हो जाता है और हम शान से चलते है हमें छुपने की जरूरत नहीं पड़ती यहां भी और मरने के बाद उस ईश्वर, प्रमात्मा, वाहेगुरू, अल्ला की अदालत में शरमिन्दा नहीं होना पड़ता कितना फाईदा है अच्छे कर्म का और कितना नुकसान है बुरे कर्म का यह तो हम को और आप को तय करना है कि हमने आईने के सामने और आपने कौन का कर्म करना है।

यह फैसला हमारे और आपके हाथ मे है क्यों कि अंतिम फैसला हमने और आपने लेना है क्यों कि यह कर्म भूमि है कर्म करना इन्सान के हाथ में है क्यों कि कर्मो का फल देना गोड़ या भगवान, अल्ला या वाहेगुरू के हाथ में है क्यों कि वह एक ही है जिसके अल्ग अल्ग नाम रखे हुए है, हमने यह सोचना है और हमारा काम यह है कि हमने अच्छे कर्म करने है कि बुरे कर्म करने है हम अपने आप के दुशमन बनना चाहते हैं या दोस्त क्यों कि आईने से बड़ा कोई दोस्त नहीं क्यों कि आईने में हम खुद है क्यों कि आईना जरूर पढ़े और देखे सोचे  कि आईने से बढ़कर और कोई साथी नहीं जो हमे सही रास्ता दिखा सकता है हमें बुरे कर्मो से रोक सकता है और अच्छे कर्म करने की प्रेरणा दे सकता है।

क्या कहता है आईना इसमें अल्ग अल्ग विष्यों पर लेख या आर्टीकल आएगे जो कि समालिक बुराईयों के आधारित होगें क्यों कि हम और आप मिल कर समाजिक बुराईयों को अगर खत्म नहीं कर सकते तो इन पर काबू तो पा ही सकते है इसलिए जरूर पड़े आईना और पड़ते रहे। मैं आईना लिखने जा रहा हूँ क्योंकि आईना कभी झूठ नहीं बोलता आईना हमेशा सच ही दिखाई है। यह आईना मैंने अलग-अलग विषयों पर लिखना शुरू किया है। मैं एक अनपढ़ इंसान हूं फिर भी मैं चाहता हूँ कि समाज को आईना देखना चाहिए और पढ़ना चाहिए क्योंकि आईना वही दिखाता है जो सच है क्योंकि आईने की किसी के साथ कोई दोस्ती नहीं और न ही दुश्मनी होती है। 






















Sunday, October 4, 2020

क्यों कुछ लोग अपनी जिंदगी में आगे नहीं बढ़ पाते- 8 कारण

क्या आपने कभी सोचा है? कि कुछ लोग तो ज़िंदगी कि हर एक ऊंचाई को छूते हैं, ज़िंदगी में सफल होते हैं,अपनी ज़िंदगी में बहुत आगे बढ़ते हैं। लेकिन कुछ लोग ज़िंदगी में आगे नहीं बढ़ पाते उनकी ज़िंदगी में आगे न बढ़ पाने की वजह क्या हैं? क्यों लोग अपनी ज़िंदगी में तरक्की नहीं कर पाते हैं? 

आपने अपने आस पास ऐसे बहुत से लोगों को देखा होगा, जिन्होंने अपनी ज़िन्दगी एक ही काम को करते हुए गुजार दी। वो आज से 10-15 साल पहले जिस काम को कर रहे थे, आज भी उसी काम को उसी तरह से कर रहे हैं। समय के अनुसार उनके साथ थोड़ा बहुत बदलाव तो हुआ लेकिन वे वहीँ के वहीँ रहे। उन्होंने कभी अपनी जिंदगी को बदलने की या जिंदगी में कोई नया काम करने की कोशिश नहीं की और ना ही कभी अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ने की कोशिश की।

दोस्तों आज मैं आपको 8 ऐसे कारण बताने जा रहा हूँ जिनकी वजह से कुछ लोग अपनी ज़िंदगी में आगे नहीं बढ़ पाते हैं। या अपनी life में तरक्की नहीं कर पाते हैं।


आइये कुछ उदाहरणों से इस बात को समझाता हूँ।

उदाहरण-1 

मेरे गाँव में एक स्कूल है। जहाँ से मैंने पाँचवी तक की पढाई की है। उस स्कूल के अध्यापक आज भी वहीँ हैं, जहाँ वो तब थे जब मैंने वहां एडमिशन लिया था। यानि आज से लगभग 22-23 साल पहले वो अध्यापक तथा उनका स्कूल जैसा था आज भी बिल्कुल वैसा ही है। वो आज भी उसी स्कूल में अध्यापक हैं और आज भी उस स्कूल की बिल्डिंग बिल्कुल वैसी ही है और स्कूल भी पाँचवी तक का ही है। हाँ वे अध्यापक थोड़े बूढ़े हो गये हैं।

उदाहरण-2

मेरे गाँव के उसी स्कूल के पास कुछ बनियों की दुकान हैं। जो मेरे जन्म से भी पहले की हैं। स्कूल टाइम पर मैं वहां से खाने पीने का सामान खरीदा करता था। आप यकीन नहीं मानेंगे कि आज लगभग 20-25 साल बाद भी कुछ दुकाने तो ऐसी की ऐसी ही हैं उनकी मरम्मत तक नहीं हुई है। और उन बनियों ने उसी छोटी सी दुकान में अपनी ज़िन्दगी गुजार दी।

उदाहरण-3

2011 में मैं एक कम्पनी में Design Engineer की पोस्ट पर गया। वहां मैंने देखा कि मेरे साथ काम करने वाले मेरे एक मित्र लगभग 16-17 साल से एक ही Position पर काम कर रहे हैं। और इतने सालों के अनुभव के बाद भी उनकी सैलरी मात्र 16000 Rs. Per Month थी। यानि 16 साल काम करने के बाद भी सैलरी मात्र 16000 Rs. Per Month. और 2011 मेरी सैलरी मात्र 2 साल के अनुभव के बाद 20000 Rs. Per Month थी। मेरे मित्र को मेरी सैलरी ज्यादा होने का दुःख था और मुझे उनके इतने वर्षों के अनुभव के बाद भी इतनी कम सैलरी होने पर अचम्भा और हैरानी दोनों थी।


किसी स्कूल के अध्यापक या चपरासी ने अपनी सारी जिंदगी वहीँ पर रहकर गुजार दी, किसी सरकारी क्लर्क ने अपनी सारी जिंदगी क्लर्क रहकर ही गुजार दी, पुलिस के किसी सिपाही ने, किसी सरकारी कर्मचारी ने, कपड़े सिलने वाले दर्जी ने, सब्जी बेचने वाले ने, चाट बेचने वाले ने, दुकान करने वाले ने या प्राइवेट नौकरी करने वाले ने या और भी बहुत से उदाहरण आपको अपने घर में, अपने आस पास या रिश्तेदारी में देखने को मिल जायेंगें।

जिन्होंने एक ही नौकरी या एक ही काम में अपनी सारी या आधी से भी ज्यादा जिंदगी गुजार दी। और हाँ आप भी उनमें से एक हो सकते हैं। और अगर नहीं हैं तो बहुत अच्छा।

दोस्तों, जिंदगी में आगे बढ़ने के, जिंदगी में तरक्की करने के, नौकरी में प्रोमोशन पाने या अपने खुद के काम या व्यवसाय को बढ़ाने के बहुत से मौके होते हैं, बहुत से तरीके होते हैं, और बहुत से रास्ते होते हैं। और बहुत से लोग उन मौके से, तरीको से, और रास्तों से अपनी जिंदगी में आगे बढ़ते हैं, तरक्की करते हैं और एक बेहतर जिंदगी जीते हैं।



















जातिप्रथा समाप्त करने का उपाय- Gaurishankar Chaubey

जातिवाद ने हिन्दुओ का  प्राचीन समय से  जिस प्रकार विघटन किया है  , क्षय किया है, प्रगति में बाधक बना है उसे देखते हुए कई समाज सुधारको और संगठनों ने समय समय पर जातिवाद को समाप्त करने के विभिन्न प्रयास किये और आज भी यदा कदा करते रहते हैं।
इन सुधारो में मुख्य तरीके होते हैं।

1- अंतर्जातीय विवाह

 

2- विभिन्न जातियों द्वारा आपस में सामूहिक भोजन 

राष्ट्रिय  स्वयं सेवक जैसे संगठन आज भी ‘समूहिक भोजन’ का आयोजन अपने कार्यकर्म में करते रहते हैं ,इसी प्रकार कोई संगठन हैं जो अंतर्जातीय विवाह भी करवाते रहते हैं। यह अच्छे प्रयास हो सकते हैं पर इनके वावजूद जातिवाद की मानसिकता जस की तस लोगो में विराजमान है , इन प्रयासों का समाज में असर पड़ता नहीं दिख रहा है यह सब मात्र दिखावा बन के रह गया है।

जातिवाद कैसे ख़त्म हो इसके विषय में बाबासाहब  ने जो उपाय बताया था वह गौर करने लायक है ,जिस पर ऐसे जातिवाद समाप्त करने वाले संगठनों का ध्यान नहीं जाता या वे देना ही नहीं चाहते । बाबा साहब ने जो उपाय और कारण बताया था यदि उन पर अब तक ध्यान दिया गया होता तो यह समस्या कब की समाप्त हो चुकी होती।

बाबा साहब ने कहा था – “जाती ईंटो की दीवार या कांटेदार तारो की लाइन जैसी कोई भौतिक  वस्तु नहीं है जो हिन्दुओ को मेल मिलाप से रोकती हो और जिसे तोडना आवश्यक हो। जाती एक धारणा है और यह एक मानसिक स्थिति है , अत: जाति को नष्ट करने का अर्थ भौतिक रुकावटो को दूर करना नहीं है । इसका अर्थ विचारात्मक परिवर्तन  से है, जाती व्यवस्था बुरी हो सकती है । जाती के आधार पर ऐसा घटिया आचरण किया जा सकता है , जिसे मानव के प्रति अमानुषता कहा जा सकता है । फिर भी यह स्वीकार करना होगा  की हिन्दू लोगो द्वारा जातिप्रथा मानने का कारण यह नहीं है उनका व्यवहार अमानुषिक और अन्याय पूर्ण होता है ।

वह जातपात इसलिए मानते हैं , क्यों की वे अत्यधिक धार्मिक होते हैं । अत: जात पात मानने में लोग दोषी नहीं हैं,मेरी राय में उनका धर्म दोषी है जिसके कारण जाति व्यवस्था की धारणा का जन्म हुआ है । यदि यह बात सही है तो स्पष्ट है की वह शत्रु जिसके साथ आपको संघर्ष करना है , वे लोग नहीं जो जातपात मानते हैं , बल्कि वे शास्त्र हैं , जिन्होंने जाती धर्म की शिक्षा दी है। अंतर्जातीय खान पान और अंतर्जातीय विवाहों का आयोजन करना इस हिसाब से निरर्थक तरीका है और यह ज्यादा कारगर सिद्ध नहीं हो सकता वास्तविक उपचार यह है की शास्त्रों से लोगो का विश्वास को समाप्त किया जाए। 
 
यदि शास्त्रों ने लोगो के धर्म ,विश्वास और विचारो पर अपना प्रभाव जारी रखा तो आप कैसे सफल होंगे?  शास्त्रों की सत्ता का विरोध किये बिना ,लोगो को उनकी पवित्रता और दंड विधान में विश्वास करने के लिए अनुमति देना और फिर उनके अविवेकी और अमानवीय कार्यो के लिए उन्हें दोष लगाना और उनकी आलोचना करना सामजिक सुधार करने का अनुपयुक्त तरीका है।

 

लोगो के नीची जाती पर अमानवीय व्यवहार जैसे कार्य मात्र उन धर्म विश्वासों के परिणाम हैं, जो शास्त्रों द्वारा उनके मन में पैदा कर दिए गए हैं। लोग तब तक अपने आचरण में परिवर्तन  नहीं करेंगे जब तक वे शास्त्रों की पवित्रता में विश्वास करना नहीं छोड़ेंगे जिस पर उनका आचरण आधारित है। 

प्रत्येक स्त्री पुरुष को शास्त्रों के बंधन से मुक्त करवाइए , शास्त्रों द्वारा प्रतिष्ठित हानिकारक धारणाओं से उनके मष्तिष्क का पिंड छुडाइये, फिर देखिये वह आपके कहे बिना अंतर्जातीय खान पान और अंतर्जातीय विवाह का आयोजन करेंग। 

 

आपको हिन्दुओ से यह कहने का सहास दिखाना होगा की दोष उनके धर्म का है – वह धर्म जिसने आपमें यह धारणा पैदा की है कि जाति व्यवस्था पवित्र है।

ऐसा साहस जैसा चार्वाक ,बुद्ध और गुरु नानक ने किया था , उन शास्त्रों की उपेक्षा ही नहीं करने का साहस अपितु उन्हें नकार देने का साहस जिन पर जातिवाद का वट वृक्ष खड़ा है ।














 

 

नेकी कर पर “आशा ना कर”

नेकी कर दरिया में डाल यह एक प्रसिद्ध लोकोक्ति है।इसका अर्थ है,लोगों की साफ और भले मन से मदद करना,पर इसके बदले में किसी भी प्रकार की अपेक्षा न करना।

जब भी हम किसी इंसान की मदद करते है,तो हमने बदले में किसी प्रकार की मदद की अपेक्षा नही करनी चाहिए।मदद या दान खुले हाथों से की जानी चाहिए,पर इसके बारे में किसीको भी पता चलना















Tuesday, August 4, 2020

Gaurishankar Chaubey- अंतरात्मा से जुड़ाव जीवन का यथार्थ है..

अंतरात्मा से जुड़ाव जीवन का यथार्थ है..

आध्या









त्मिक स्तर

हम चाहे बाहरी दुनिया में कितने ही लोगों से जुड़ लें लेकिन एक आप इस सत्य को नहीं नकार सकते कि आपका वास्तविक और बेहद मजबूत आपकी अंतरात्मा से ही बनता है। हैरानी की बात तो ये है कि इस सत्य को अधिकांश लोग समझ ही नहीं पाते और अपने जीवन की दिशा तय करने के लिए वे बाहरी लोगों का सहारा लेते हैं। परंतु जब आप आध्यात्मिक रूप से मजबूत होने लगते हैं तो आपको आपकी अंतरात्मा से कुछ ऐसे संकेत मिलने लगते हैं जिन्हें समझना बेहद आवश्यक है। हमें अपना आध्यात्मिक स्तर समझ नहीं आता, इसी के परिणामस्वरूप कई बार आपको ये भी नहीं पता चलता कि आपकी अंतरात्मा आपसे कुछ कहना चाहती है।

 

अंतरात्मा

आगे आने वाली स्लाइड्स में कुछ ऐसे संकेतों की बात बताई जा रही है जो अगर आपको मिलने लगे हैं तो इसका अर्थ यह है कि आपकी सोल, आपकी अंतरात्मा आपसे संपर्क करने का प्रयत्न कर रही है।


आप सपनों में हकीकत देखने लगते हैं

जब आपका वचेतन मन आपसे संपर्क करने का रास्ता खोजता है तो उसका जरिया आपके सपने ही होते हैं। हमारी आत्मा सपनों की दुनिया में हमसे संपर्क करती है, हमें उन्हें नजरअंदाज ना करते हुए उनका अर्थ ढूढ़ने की कोशिश करनी चाहिए। हो सकता है कोई ऐसा संदेश हो जिसे समझना हमारे लिए बहुत जरूरी है।

 

एक ही अंक का बार-बार दिखना

एक ही चीज बार-बार दिखना.... यह इस बात का इशारा है कि ब्रह्मांड की शक्तियां आपसे संपर्क करना चाहती हैं। लेकिन कई बार ये संकेत हमारी अंतरात्मा ही हमें दे रही होती है। अपको उन नंबरों या घटनाओं में सामंजस्य ढूंढ़ने की कोशिश करनी चाहिए।


चीजें आपको पहले ही पता चल जाती हैं

हमारा अवचेतन मन हमें हमेशा सचेत और जागरुक रखने की कोशिश करता है। इसके लिए वह समय-समय पर हमें जानकारियां भी देता रहता है। जब आप किसी समस्या में खो चुके हों और अचानक आपको उस समस्या से बाहर निकलने का रास्ता मिल जाए तो यह इसी बात को दर्शाता है कि आपकी अंतरात्मा आपकी मदद कर रही है।

 

अपने मस्तिष्क में आवाजों को सुनना

आपके मस्तिष्क में उठने वाली आवाजें आपका अपना ही अंतर्मन होता है, वह कहीं बाहर से नहीं आती। जब आप किसी परेशानी में हों और आपकी आपको कोई आवाज बाहर निकलने का रास्ता सुझाए तो आपको उसकी बात सुन लेनी चाहिए।