Friday, August 27, 2021

"आप कर्म करते रहिये, ज़िंदगी आपको खूबसूरत मौके प्रदान करती रहेगी I

 गरीब बच्चा


एक पांच छ साल का मासूम सा बच्चा अपनी छोटी बहन को लेकर मंदिर के एक तरफ कोने में बैठा हाथ जोड़कर भगवान से न जाने क्या मांग रहा था. कपड़े में मैल लगा हुआ था मगर निहायत साफ, उसके नन्हे नन्हे से गाल आँसूओ से भीग चुके थे. बहुत लोग उसकी तरफ आकर्षित थे और वह बिल्कुल अनजान अपने भगवान से बातों में लगा हुआ था. जैसे ही  एक अजनबी ने बढ़ के उसका नन्हा सा हाथ पकड़ा और पूछा: क्या मांगा भगवान से ??

उसने कहा: मेरे पापा मर गए हैं.. उनके लिए स्वर्ग, मेरी माँ रोती रहती है.. उनके लिए सब्र और मेरी बहन के लिए कपड़े के पैसे. तुम स्कूल जाते हो ?? अजनबी का सवाल.... स्वाभाविक सा सवाल था, हा जाता हू.. उसने कहा किस क्लास में पढ़ते हो ?.... अजनबी ने पूछा, नहीं अंकल में पढ़ने नहीं जाता, माँ चने बना देती है  वही स्कूल के बच्चों को बेचता हू बहुत सारे बच्चे मुझसे चने खरीदते हैं, हमारा यही काम धंधा है।


बच्चे का एक - एक शब्द मेरी रूह में उतर रहा था, तुम्हारा कोई रिश्तेदार ?  न चाहते हुए भी अजनबी बच्चे से पूछ बैठा, पता नहीं... माँ कहती है गरीब का कोई रिश्तेदार नहीं होता माँ झूठ नहीं बोलती.... पर अंकल, मुझे लगता है मेरी माँ कभी कभी झूठ बोलती है.


जब हम खाना खाते हैं हमें देखती रहती है, जब कहता हुं माँ तुम भी खाओ, तो कहती हैं मैने खा लिया था  उस समय लगता है झूठ बोलती है.

बेटा, अगर तुम्हारे घर का खर्च मिल जाय तो पढ़ाई करोगे ? बिल्कुल नहीं!! क्यों ? पढ़ाई करने वाले... गरीबों से नफरत करते हैं अंकल, हमें किसी पढ़े हुए ने कभी नहीं पूछा पास से गुजर जाते हैं.







अजनबी हैरान भी था और शर्मिंदा भी, फिर उसने कहा हर दिन इस मंदिर में आता हू, कभी किसी ने नहीं पूछा यहाँ सब आने वाले मेरे पिताजी को जानते थे, मगर हमें कोई नहीं जानता.

बच्चे ने मायूसी से पूछा अंकल, जब बाप मर जाता है तो सब अजनबी क्यों हो जाते हैं?

"अजनबी के पास इसका कोई जवाब नही था".



*ऐसे कितने मासूम होंगे जो हसरतों से घायल हैं बस एक कोशिश कीजिये और अपने असपास ऐसे जरूरतमंद यतीमों, बेसहाराओ को ढूंढिये और उनकी मदद कीजिए*




मंदिर में सीमेंट या अन्न की बोरी देने से पहले अपने आस-पास किसी गरीब को देख लेना, शायद उसको आटे की बोरी की ज्यादा जरूरत हो।🙏🙏






स्वस्थ रहे ।। मस्त रहे ।। व्यस्थ रहे

गौरीशंकर चौबे