~ गलतफहमी ~
एक बार एक केकड़ा समुद्र किनारे अपनी मस्ती में चला जा रहा था और बीच - बीच में रुक कर अपने पैरों के निशान देख कर खुश होता। आगे बढ़ता पैरों के निशान देखता और खुश होता। इतने में एक लहर आई और उसके पैरों के सभी निशान मिट गये।
इस पर केकडे को बड़ा गुस्सा आया, उसने लहर से कहा: ए लहर में तो तुझे अपना मित्र मानता था, पर ये तूने क्या किया, मेरे बनाये सुंदर पैरों के निशानों को ही मिटा दिया !!
कैसी दोस्त हो तुम ??
तब लहर बोली :
वो देखो पीछे से मछुआरे पैरों के निशान देख कर केकड़ों को पकड़ने आ रहे हैं। हे मित्र, तुमको वो पकड़ न लें...बस इसलिए मैंने निशान मिटा दिए !!
ये सुनकर केकडे की आँखों में आँसू आ गये।
सच यही है,
कई बार हम सामने वाले की बातों को समझ नहीं पाते और अपनी सोच अनुसार उसे गलत समझ लेते हैं।
जबकि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, अत: मन में बैर लाने से बेहतर है कि हम सोच समझ कर निष्कर्ष निकालें !!
रिश्ते कभी भी क़ुदरती मौत नहीं मरते, इनको हमेशा इंसान ही कतल करता है,
नफ़रत से, नज़र अंदाजी से,
तो कभी " गलतफहमी " से !!
स्वस्थ ।। मस्त ।।व्यस्थ रहे
सदैव मुस्कुराते रहे
गौरीशंकर चौबे
बहुत खूब
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