अचानक कह दिया गया कि आपके पास जो नोट हैं, वो नहीं चलेंगे... बदलने के लिए 50 दिन है. आप घबरा गए और कोशिश करने लगे कि किसी भी तरह जल्द से जल्द आपके नोट बदल जाए.
जरा सोचिए एक दिन वो आनेवाला है, जब आपसे कह दिया जाएगा कि आपके पास जो कुछ है.... कुछ नहीं चलेगा, सिर्फ आपके कर्म ही चलेंगे. जिसे बदलने के लिए 1सेकंड भी नहीं मिलेगा, तो सोचिये क्या होगा उस दिन आपका. उस दिन के लिए वो इकठ्ठा करें.... जो वहाँ चलेगा.
"कुँवे का पानी सब फसलों को एक समान मिलता है, लेकिन फिर भी करेला कड़वा, बेर मीठा और इमली खट्टी होती है".यह दोष पानी का नहीं है, बीज का है, वैसे ही भगवान सब के लिए एक समान है, लेकिन दोष कर्मो का है.
तेरा मेरा करते एक दिन चले जाना है, जो भी कमाया यही रह जाना है. कर ले कुछ अच्छे कर्म, साथ यही तेरे जाना है.
"किस धन का मैं अहंकार करुँ जो अंत में, मेरे प्राणों को बचा ही नहीं पाएगा", "किस तन पे मैं अहंकार करूँ जो अंत में, मेरी आत्मा का बोझ भी नहीं उठा पाएगा", किन साँसों का मैं एतबार करूँ जो अंत में, मेरा साथ छोड़ जाएगी. किन रिश्तों का मैं यहाँ आज अभिमान करुँ, जो रिश्ते शमशान में पहुँचकर सारे टूट जाएगे.
क्यों न यहाँ मैं, अपने नेक कर्मो की पूंजी इकट्ठी कर लूँ, यह यहाँ भी और वहाँ भी साथ देते हैं.
~ संदेश ~
इंसानियत दिल में होती है.... हैसियत में नहीं, उपरवाला कर्म देखता है... वसीयत नहीं.