~ सदा मस्त रहो ~
एक गिलहरी रोज अपने काम पर समय से आती थी और अपना काम पूरी मेहनत और ईमानदारी से करती थी। गिलहरी जरुरत से ज्यादा काम करती थी। क्योंकि उसके मालिक... जंगल के राजा शेर ने उसे दस बोरी अखरोट देने का वादा कर रखा था। गिलहरी काम करते करते थक जाती तो सोचती, कि थोड़ा आराम कर लूँ... वैसे ही उसे याद आता कि शेर उसे दस बोरी अखरोट देगा। और गिलहरी फिर काम पर लग जाती। गिलहरी जब दूसरे गिलहरीयो को खेलते देखती, तो उसकी भी इच्छा होती थी कि में भी खेलु, पर उसे अखरोट याद आ जाता, और वो फिर काम पर लग जाती। ऐसे ही समय बीतता रहा....
एक दिन ऐसा भी आया जब जंगल के राजा शेर ने गिलहरी को दस बोरी अखरोट दे कर आजाद कर दिया। गिलहरी अखरोट के पास बैठ कर सोचने लगी कि अब अखरोट मेरे किस काम के ? पूरी जिंदगी काम करते - करते दांत तो घिस गये, इन्हें खाउगी कैसे।
यह कहानी आज जीवन की हकीकत बन चुकी है। इंसान अपनी इच्छाओ का त्याग करता है, पूरी जिंदगी नौकरी, व्यापार और धन कमाने में बिता देता है।
६० वर्ष की उम्र में जब वो सेवा निव्रुत् होता है, तो उसे उसका जो फंड मिलता है, या बैंक बैलेंस होता है, तो उसे भोगने की क्षमता खो चुका होता है। तब तक जनरेशन बदल चुकी होती है, परिवार को चलाने वाले बच्चे आ जाते है।
क्या इन बच्चोंं को इस बात का अंदाजा लग पायेगा की इस फंड, इस बैंक बैलेंस के लिये:
कितनी इच्छाये मरी होगी ?
कितनी तकलीफे मिली होगी ?
कितने सपने अधूरे रहे होंगे ?
क्या फायदा ऐसे फंड का, बैंक बैलेंस का, जिसे पाने के लिये पूरी जिंदगी लग जाये और मानव उसका भोग खुद न कर सके।
इस धरती पर कोई ऐसा अमीर अभी तक पैदा नहीं हुआ जो बीते हुए समय को खरीद सके। इस लिए हर पल को खुश होकर जियो व्यस्त रहो, पर साथ में मस्त रहो सदा स्वस्थ रहो।
~ संदेश ~
मौज लो, रोज लो !
नहीं मिले तो खोज लो !