आईना तो हम सभ देखते है आईना हम सभ क्यों देखते है यह तो हम सभ जानते ही है कि हमारे फेस पे क्या है और क्या नहीं आईना सभ बता देता है आईना बोलता है कि नहीं आईने में हम सभ खुद ही होते है हम खुद ही देखते है कि हमारे फेस पे क्या है और क्या नहीं जानना चाहते है तो दूसरों पर विशवास नहीं करते है क्योंकि आईने में हम खुद ही होते है क्यों कि आईना झूठ नहीं बोलता हमेशा सच्च ही बोलता है तो फिर कोई भी अच्छा या बुरा काम करने से पहले दूसरों का सहारा क्यों लेते हैं क्यों कि दूसरों पर विशवास करते है क्यों यकीन कर लेते है दूसरों पर क्यों विशवास करते हैं हम अपने आप की तब क्यों नहीं सुनते देखते है कि आईना कुछ बोलता है और आईने की सुन ले। जरा इसकी सुन ले क्या कहता है आईना।
आईए मेरे साथ जानना चाहते है हम सभ कि क्या, क्या कर सकता है आईना कितनी पावर है इसमें हम इसको कांच समझने कि भूल मत करें कि आईना हमें सच्च का रास्ता दिखा सकता है और बुरे कर्मो से हमे बचा सकता है जिससे बुराई को खतम किया जा सकता है क्यों कि आईने का सामना तो हमें करना ही पड़ता है क्यों कि आईना तो हम सभ देखते ही है। क्योंकि आईने से बढ़कर और सच्चा साथी हमारा कोई भी नहीं है क्यों कि जात, पात या धर्म नहीं देखता है आईना हमें सच्च ही दिखलाता है आईना विशवास के काबिल है क्यों कि हमारे संत, महातमा, पीर, पैगंबर, रिशी मुनी उस मालिक को एक ही कहते आ रहे है उस एक मालिक की एक ही संतान है जब मालिक एक है तो उसकी अदालत भी एक ही है 2 या 4 कैसे हो सकती है यह नहीं कि हिन्दु, मुसलिम, सिक्ख, ईसाई यां फिर किसी और धर्म के लिए अलग-अलग है।
जब मालिक एक है तो उसकी अदालत भी एक ही है वहां ना कोई वकील, ना कोई अपील और ना ही कोई दलील होती है वहां सिर्फ उसकी अदालत में आईना ही दिखला दिया जाता है उस आईने में सी.सी. कैमरे की तरह कर्म करते दिखा दिया जाता है क्यों कि उस आईने में हम खुद ही होते है उसको कैसे झुठला सकते है क्योंकि उस मालिक परम पिता प्रमेशवर के बनाये हुए कानून भी एक है यह नहीं कि हिन्दु, मुसलिम, सिक्ख, ईसाई यां फिर किसी और धर्म के लिए अल्ग, अल्ग है नहीं वह मालिक एक है और उसके बनाये हुए कानून भी हम सभ के लिए एक जैसे ही है तभी तो किसी संत ने कहा है कि (जैसी करनी/वैसी भरनी) आईना क्यों है।
हमारा सच्चा साथी सच्चा दोस्त क्यों कि आईना हमें बुरे कर्मो से रोकता है और अच्छे कर्म करने की प्रेरणा देता है क्यों कि आईने में हम अपने आप को देख सकते है अपने आप से बाते कर सकते है कोई भी कर्म करने से पहले आईना जरूर देखे और सोचे उस कर्म के बारे में उस अंजाम के बारे में फिर कर्म करे अगर कर्म बुरा है तो हम अपने आप से नज़र नहीं मिला सकेगे शर्म से आँखे झुक जाएगी अगर कर्म अच्छा है तो हम नज़र भी मिला पायेगे और फकर महिसूस करेगें और हमारा सीना गर्व से चैड़ा हो जायेगा क्यों कि बुरा कर्म करने पर हम दूसरों से छुपा तो सकते है।
लेकिन अपने आप सें नहीं छुप सकते क्यों कि बुरा कर्म करते समय हम सोचते है कि हम को कोई देख नहीं रहा और हमको किसी ने देखा नहीं और हमने कोई सबूत नहीं छोड़ा हमको कोई पकड़ नहीं सकता हम किसको धोखा दे रहे हैं हम दूसरों को या अपने आप को क्यों कि हमें आईने के सामने तो जाना ही पड़ेगा आईने का सामना करना ही पड़ेगा क्या नज़रे मिला सकेगें अपने आप से हम, हम खुद ही उस कर्म कि गवाह है हम कैसे छुपेगें हम अपने आप से, अगर कर्म अच्छा तो हम खुशी महसूस करते है हम खुशी के मारे झूम उठते है तो हम तब आईना देखते है तो फकर महसूस करते है हमारा चेहरा खुशी से खिल जाता है चेहरे पर रौनक आ जाती है सीना चोड़ा हो जाता है और हम शान से चलते है हमें छुपने की जरूरत नहीं पड़ती यहां भी और मरने के बाद उस ईश्वर, प्रमात्मा, वाहेगुरू, अल्ला की अदालत में शरमिन्दा नहीं होना पड़ता कितना फाईदा है अच्छे कर्म का और कितना नुकसान है बुरे कर्म का यह तो हम को और आप को तय करना है कि हमने आईने के सामने और आपने कौन का कर्म करना है।
लेकिन अपने आप सें नहीं छुप सकते क्यों कि बुरा कर्म करते समय हम सोचते है कि हम को कोई देख नहीं रहा और हमको किसी ने देखा नहीं और हमने कोई सबूत नहीं छोड़ा हमको कोई पकड़ नहीं सकता हम किसको धोखा दे रहे हैं हम दूसरों को या अपने आप को क्यों कि हमें आईने के सामने तो जाना ही पड़ेगा आईने का सामना करना ही पड़ेगा क्या नज़रे मिला सकेगें अपने आप से हम, हम खुद ही उस कर्म कि गवाह है हम कैसे छुपेगें हम अपने आप से, अगर कर्म अच्छा तो हम खुशी महसूस करते है हम खुशी के मारे झूम उठते है तो हम तब आईना देखते है तो फकर महसूस करते है हमारा चेहरा खुशी से खिल जाता है चेहरे पर रौनक आ जाती है सीना चोड़ा हो जाता है और हम शान से चलते है हमें छुपने की जरूरत नहीं पड़ती यहां भी और मरने के बाद उस ईश्वर, प्रमात्मा, वाहेगुरू, अल्ला की अदालत में शरमिन्दा नहीं होना पड़ता कितना फाईदा है अच्छे कर्म का और कितना नुकसान है बुरे कर्म का यह तो हम को और आप को तय करना है कि हमने आईने के सामने और आपने कौन का कर्म करना है।
यह फैसला हमारे और आपके हाथ मे है क्यों कि अंतिम फैसला हमने और आपने लेना है क्यों कि यह कर्म भूमि है कर्म करना इन्सान के हाथ में है क्यों कि कर्मो का फल देना गोड़ या भगवान, अल्ला या वाहेगुरू के हाथ में है क्यों कि वह एक ही है जिसके अल्ग अल्ग नाम रखे हुए है, हमने यह सोचना है और हमारा काम यह है कि हमने अच्छे कर्म करने है कि बुरे कर्म करने है हम अपने आप के दुशमन बनना चाहते हैं या दोस्त क्यों कि आईने से बड़ा कोई दोस्त नहीं क्यों कि आईने में हम खुद है क्यों कि आईना जरूर पढ़े और देखे सोचे कि आईने से बढ़कर और कोई साथी नहीं जो हमे सही रास्ता दिखा सकता है हमें बुरे कर्मो से रोक सकता है और अच्छे कर्म करने की प्रेरणा दे सकता है।
क्या कहता है आईना इसमें अल्ग अल्ग विष्यों पर लेख या आर्टीकल आएगे जो कि समालिक बुराईयों के आधारित होगें क्यों कि हम और आप मिल कर समाजिक बुराईयों को अगर खत्म नहीं कर सकते तो इन पर काबू तो पा ही सकते है इसलिए जरूर पड़े आईना और पड़ते रहे। मैं आईना लिखने जा रहा हूँ क्योंकि आईना कभी झूठ नहीं बोलता आईना हमेशा सच ही दिखाई है। यह आईना मैंने अलग-अलग विषयों पर लिखना शुरू किया है। मैं एक अनपढ़ इंसान हूं फिर भी मैं चाहता हूँ कि समाज को आईना देखना चाहिए और पढ़ना चाहिए क्योंकि आईना वही दिखाता है जो सच है क्योंकि आईने की किसी के साथ कोई दोस्ती नहीं और न ही दुश्मनी होती है।